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Monday, July 18, 2016

आमेर दुर्ग: राजस्थान




आमेर का किला जयपुर, राजस्थान के उपनगर आमेर में जयपुर शहर से ११ किमी. दूर स्थित है। यह जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जो कि पहाड़ी पर स्थित है। आमेर दुर्ग का निर्माण राजा मान सिंह-प्रथम ने करवाया था। आमेर दुर्ग हिन्दू तत्वों की अपनी कलात्मक शैली के लिए जाना जाता है। अपनी विशाल प्राचीर, दरवाजों की श्रंखला और लम्बे सर्पिलाकार रास्ते के साथ यह अपने सामने की ओर स्थित मावठा झील की ओर देखता हुआ खड़ा है।
अपनी विशाल प्राचीर, दरवाजों की श्रंखला और लम्बे सर्पिलाकार रास्ते के साथ यह अपने सामने की ओर स्थित मावठा झील की ओर देखता हुआ खड़ा है।इस अजेय दुर्ग का सौंदर्य इसकी चारदीवारी के भीतर मौजूद इसके चार स्तरीय लेआउट प्लान में स्पष्ट दिखाई पड़ता है, जिसमें लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से निर्मित दीवान-ऐ-आम या "आम जनता के लिए विशाल प्रांगण", दीवान-ऐ-ख़ास या "निजी प्रयोग के लिए बना प्रांगण", भव्य शीश महल या जय मंदिर तथा सुख निवास शामिल हैं, जिन्हें गर्मियों में ठंडा रखने के लिए दुर्ग के भीतर ही कृत्रिम रूप से बनाये गए पानी के झरने इसकी समृद्धि की कहानी कहते हैं। इसीलिये, यह आमेर दुर्ग "आमेर महल" के नाम से भी जाना जाता है।

 राजपूत महाराजा अपने परिवारों के साथ इस महल में रहा करते थे। महल के प्रवेश द्वार पर, किले के गणेश द्वार के साथ चैतन्य सम्प्रदाय की आराध्य माँ शिला देवी का मंदिर स्थित है।यह आमेर का किला, जयगढ़ दुर्ग के साथ, अरावली पर्वत श्रृंखला पर चील के टीले के ठीक ऊपर इस प्रकार स्थित है कि ये दो अलग अलग किले होते हुए भी समग्र रूप में एक विशाल संरचना का रूप लेते हुए दिखाई पड़ते हैं क्योंकि दोनों किले ना सिर्फ एक दूसरे के बेहद करीब स्थित हैं, बल्कि एक सुरंग के रास्ते से दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए भी हैं।

 आमेर के किले से जयगढ़ के किले तक की यह सुरंग इस उद्देश्य से बनायी गयी थी कि युद्ध के समय में राज परिवार के लोग आसानी से आमेर के किले से जयगढ़ के किले में पहुँच सकें, जो कि आमेर के किले की तुलना में अधिक दुर्जेय है।यह मुगलों और हिन्दूओं के वास्तुशिल्प का मिलाजुला और अद्वितीय नमूना है। जयपुर से पहले कछवाहा राजपूत राजवंश की राजधानी आमेर ही थी। राजा मानसिंह जी ने वर्ष १५९२ में इसका निर्माण आरंभ किया था। पहाड़ी पर बना यह महल टेढ़े मेढ़े रास्तों और दीवारों से पटा पड़ा है। महल के पीछे से जयगढ दिखाई देता है।
 महल को बनाने में लाल पत्थरों और सफ़ेद मार्बल का बहुत अच्छे से उपयोग किया गया है। महल के कई अनुभाग देखने योग्य हैं।महल में जय मंदिर, शीश महल, सुख निवास और गणेश पोल देखने और घूमने के अच्छे स्थान हैं। इन्हें समय-समय पर राजा मानसिंह ने दो सदी के शासन काल के दौरान बनवाया था। आमेर का पुराना नगर महल के पास नीचे की ओर बसा था। यहाँ का जगत शिरोमणि मंदिर, नरसिंह मंदिर देखने योग्य हैं।

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